22 March, 2012

पानी चुल्लू भर नहीं, करे कुकर्मी ऐश-

पानी चुल्लू भर नहीं, करे कुकर्मी ऐश ।

सूखे पोखर में गई, भ्रष्टाचारी भैंस । 

भ्रष्टाचारी भैंस, तैस में पानी पी पी ।

कैसे कोसें दुष्ट, करे है बैठा ही ही ।

http://totallytop10.com/wp-content/uploads/2011/08/Dracula-2000.jpg

पानी दिया उतार, चढ़े अब कैसे पानी ।।

रविकर पानीदार, बहे धन जैसे पानी ।

9 comments:

  1. वाह! आदरणीय रविकर जी, सुन्दर कुण्डलिया....
    सादर.

    ReplyDelete
  2. पानी चुल्लू भर नहीं, करे कुकर्मी ऐश ।
    सूखे पोखर में गई, भ्रष्टाचारी भैंस ।
    कुण्डलियाँ रविकर की निशि दिन ताज़ा ही रहें .

    ReplyDelete
  3. वाह!!!
    भैंस गयी पानी में.....

    बहुत बढ़िया..
    सादर.

    ReplyDelete
  4. वाह साहब वाह
    सुन्दर कुंडलीयों के साथ चित्र सर्जन भी अच्छा है

    ReplyDelete
  5. बढ़िया रचना प्रस्तुत की है आपने!

    ReplyDelete
  6. ..पर जल-दिवस के दिन पानी की भी कमी महसूस कि जा रही है !

    ReplyDelete
  7. न पानी है - न पानीदार लोग.

    ReplyDelete
  8. बहे धन जैसे पानी,नहीं कोई भी चिंता
    मौन धरे चलता जाए सठियाया संता!

    ReplyDelete