20 July, 2013

ग्वालिन ग्वाल बहे पशु अन्न निहारत कृष्ण करेज फटा-


वृष्टि सुरेश करे जमके चमके बिजली घनघोर घटा । 
ग्वालिन ग्वाल बहे पशु अन्न निहारत कृष्ण करेज फटा
गोबरधन्य उठा कन-अंगुलि देत दिखाय अजीब छटा । 
आज सँभाल रहे धरती मिल सज्जन नौ-जन हाथ बटा 


दूषित नीर जमीन हवा शिव सा विष मध्य गले भरती |
नीलक टीक लगावत मानव रोष तभी धरती धरती |
प्राण अनेकन जीवन के तब पुन्य धरा झट से हरती |
आज सँभाल रहे धरती मरती जनता फिर क्या करती ||


दुर्मिल सवैया
शुभ रूप धरे धरती मइया दस हाथ उठाय सँभाल  रहे । 

जब वीर बड़े बलवान बड़े नृप आय रहे भ्रम पाल रहे । 

जग जीत लिया खुब प्रीत किया पर अंतिम काल-कवाल रहे । 

जब  सुन्दर दृश्य दिखा धरती निश्चय ही खुशहाल रहे ॥

2 comments:

  1. Dua karo ye dharti maa hamesha khushhaal rahe!

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  2. गोवर्धनधारी की जरूरत है आज कि सम्हाले धरती को । सुंदर सवैये ।

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