16 March, 2016

कमाई कर रही बेटी, हिमालय तक चढ़ाई की |

विधाता छंद 
लगी बढ़ने लगी पढ़ने चढ़े सीढ़ी पढाई की |
सफाई कर कढ़ाई की सिलाई की कढ़ाई की |
कमाई कर रही बेटी, हिमालय तक चढ़ाई की |
चले नौ दिन मगर दूरी, नहीं पूरी अढ़ाई की ||

1 comment:

  1. आपने लिखा...
    कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
    हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 18/03/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
    अंक 245 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।

    ReplyDelete